लफ्ज़ न कहते जो बात, नज़रों से दिल में उतरते। कुछ तुम कहते ,कुछ मैं सुनता, कुछ मैं क लफ्ज़ न कहते जो बात, नज़रों से दिल में उतरते। कुछ तुम कहते ,कुछ मैं सुनता,...
कवि नहीं हूँ फिर भी लिख रहा हूँ कविता नहीं अपनी पीड़ा को रच रहा हूँ कवि नहीं हूँ फिर भी लिख रहा हूँ कविता नहीं अपनी पीड़ा को रच रहा हूँ
असली पहचान इसी के लिए लड्ता था ना तु जीवन भर। असली पहचान इसी के लिए लड्ता था ना तु जीवन भर।
नदी के बिछड़े किनारे पर, बिखरी हुई हो चांदनी, सितारों की छाँव तले, विहार करें हंस नदी के बिछड़े किनारे पर, बिखरी हुई हो चांदनी, सितारों की छाँव तले, विह...
"मैं" और वो "मैं" और वो
पर सब मिल जाये तो आरज़ू किसकी होगी, जिंदगी कितनी बोर होगी जिसमे पाने को कुछ बचा पर सब मिल जाये तो आरज़ू किसकी होगी, जिंदगी कितनी बोर होगी जिसमे पाने ...